Home मनोविज्ञान एवं मानसिक स्वास्थ्य ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर: अभिव्यक्ति की समस्या

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर: अभिव्यक्ति की समस्या

by FreeValleys

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर मस्तिष्क के विकास से संबंधित न्यूरोलॉजिकल और डेवेलपमेंटल समस्या है जो एक व्यक्ति के दूसरों के साथ सामाजिक अंतर्क्रिया और उनके बारे में सोचने के तरीके को प्रभावित करती है जिसके कारण उनके आपसी रिश्ते मधुर नही होते और वो स्वयं को समाज से आइसोलेट महसूस करते हैं।

ऐसे लोगों की कम्युनिकेशन स्किल्स भी बहुत कमजोर होती है जिसके कारण ये बातचीत भी सही ढंग से नही कर पाते और यदि बातचीत करते भी हैं तो बहुत कम और बात करते समय झिझकते भी हैं। कम्युनिकेेशन कमजोर होने के कारण ये लोग स्वयं के विचारों और भावनाओं को खुलकर अभिव्यक्त भी नही कर पाते जिससे सामाजिक संपर्क और संचार में समस्याएं पैदा होती हैं।

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार में “स्पेक्ट्रम” शब्द लक्षणों और गंभीरता की बढ़ी हुई सीरीज को संदर्भित करता है। ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार में कुछ ऐसे भी विकार हैं जिनको पूर्व में भिन्न माना गया शामिल हैं जिन्हें पहले अलग माना जाता था – ऑटिज़्म, एस्परगर सिंड्रोम, बचपन के विघटनकारी विकार आदि। कुछ लोग द्वारा अभी भी “एस्पर्जर सिंड्रोम” शब्द का उपयोग किया जाता है, जिसे आम तौर पर ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार का ही माइल्ड लेवल माना जाता है।

ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार की शुरुआत बचपन में होने लगती है, जैसे जैसे बच्चा धीरे धीरे बड़ा होने लगता है वैसे वैसे उसमें ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के लक्षण स्पष्टतः दृष्टिगोचर होने लगते हैं जो कि बच्चे के आने वाली समस्याओं को और अधिक बढ़ा देते हैं। ऐसा होने से बच्चे के क्रियाकलापों में जटिलताएं उत्पन्न होने लगती हैं।

ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के बच्चे में विकार के लक्षण पहले वर्ष में ही दिखने लगते हैं। यह लक्षण बच्चे के विकास से सम्बंधित सभी पक्षों जैसे समाजिक विकास, शारिरिक विकास के साथ साथ बच्चे के भाषा विकास आदि को भी बुरी तरह से प्रभावित करते हैं।

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर की शुरुआत

बच्चों के शुरुआती समय जन्म से 2 साल की आयु में ही ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के लक्षण दिखाई देने लगते हैं जैसे बच्चा आँखों से संपर्क नही कर पाता, उसे अगर नाम से पुकारा जाए तो वह कोई प्रतिक्रिया नही करता, उसे अपनी देखभाल के प्रति कोई जागरूकता नही रहती।

ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित कई कई बच्चे ऐसे भी होते हैं जिनका विकास जीवन के पहले कुछ महीनों या वर्षों तक तो सामान्य रूप से विकसित हो सकते हैं, लेकिन बाद में इनका विकास तेजी के साथ पिछड़ने लगता है।

अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति न कर पाने के कारण इनमें चिड़चिड़ापन हो जाता और और ये धीरे धीरे या कभी कभी आक्रामक भी हो जाते हैं। ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित लोग अपनी बात को प्रभावी रूप से कह भी नही पाते।

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर की पहचान करना

ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार वाले कुछ बच्चे नई चीजों को सीखने में अत्यधिक कठिनाई का अनुभव करते हैं। ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित कुछ बच्चों में बुद्धि का विकास भी असामान्य तरीके से होता है जिसके कारण कुछ की बुद्धि सामान्य से कम होती है तो किन्हीं बच्चों में अधिक बुद्धि विकास पाया जाता है।

इन बच्चों के भाषा विकास पूरी तरह से विकसित नही होता जिसके कारण ये बच्चे सामाजिक अंतर्क्रिया नही कर पाते। परिणामस्वरूप इन बच्चों को सामान्य परिस्थिति में भी समायोजन स्थापित करने में कठिनाई होती है। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के होने पर बच्चे जैसे जैसे और अधिक परिपक्व होते हैं, व अन्य बच्चों के साथ स्वयं को व्यस्त करने लगते हैं ताकि उनका समाजिक क्षेत्र का विकास हो सके और व्यवहार में कम गड़बड़ी दिखाते हैं।

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर होने के कारण

ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के होने के निश्चित कारण की पहचान अभी तक नही हो पाई है लेकिन बहुत समय से यह माना जाता था कि ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर होने के चांस उन बच्चों में अधिक बढ़ जाते हैं जिनका वजन जन्म के समय कम होता है अथवा जिनके siblings अथवा पेरेंट्स में भी ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के लक्षण होते हैं अर्थात यह विकार अनुवांशिक भी हो सकता है।

लेकिन यह संदेह बढ़ता जा रहा है कि ऑटिज्म एक जटिल विकार है जिसके मुख्य पहलुओं के अलग-अलग कारण होते हैं जो अक्सर एक साथ होते हैं। हालांकि यह संभावना नहीं है कि एएसडी का एक ही कारण हो, शोध साहित्य में पहचाने गए कई जोखिम कारक एएसडी के विकास में योगदान कर सकते हैं।

इनमें आनुवांशिकी, प्रसवपूर्व और प्रसवकालीन कारक (गर्भावस्था या बहुत प्रारंभिक शैशवावस्था के दौरान कारक), न्यूरोएनाटोमिकल असामान्यताएं और पर्यावरणीय कारक आदि शामिल हैं जिसके कारण ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर होने की ज्यादा सम्भावना बनी रहती है। सामान्य कारकों की पहचान करना मुश्किल तो होता है लेकिन सम्भव भी है।

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर होने पर क्या करें

बच्चे के आरम्भिक जीवनकाल में जैसे ही ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के लक्षण मालूम हों तो तुरंत ही जितना जल्दी हो सके बच्चे का उपचार शुरू करवा लेना चाहिए ताकि आने वाले समय में उसकी क्षमताओं का कम से कम नुकसान हो। इस विकार के लिए प्रारंभिक उपचार महत्वपूर्ण है क्योंकि उचित देखभाल और सेवाएं व्यक्तियों की कठिनाइयों को कम कर सकती हैं ताकि बच्चे स्वयं को मजबूत कर सकें और उनको जीवन के लिए आवश्यक अन्य कौशलों को सीखने में मदद मिल जाए।

ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर होने पर बच्चे को मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक से परामर्श अवश्य लेना पड़ता है ताकि सही उपचार की योजना बनाकर उसको क्रियान्वित किया जा सके।

ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों के जीवन मे जन्म से लेकर प्रारंभिक बचपन से लेकर पूरे जीवन काल में हस्तक्षेपों की एक विस्तृत श्रृंखला उन लोगों के विकास, स्वास्थ्य, कल्याण और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद कर सकती है ताकि ऐसे लोग भी समाज में मजबूती के साथ प्रबल भागीदारी कर सकें और स्वयं को कर समाज के अहम हिस्से के रूप में प्रक्षेपित कर सकें।

यदि प्रारंभिक साक्ष्य-आधारित मनोसामाजिक हस्तक्षेपों को ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों पर प्रशासित किया जाता है तो उनमें बातचीत की क्षमता मजबूत होती है ताकि वे भी प्रभावी तरीके से अपने विचारों को अभिव्यक्त कर समाज में अच्छा सामाजिक सन्तुलन स्थापित कर सकें। ऑटिस्टिक बच्चों की प्रभावी ढंग से संवाद करने की योग्यता उनके सामाजिक सम्बंधों को सुधारती सकती है।

नियमित मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल के हिस्से के रूप में बच्चे के विकास की निगरानी की भी आवश्यक ही जाती है। इसलिए जहां तक सम्भव हो ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चे को अधिक से अधिक कौशलों को सीखने पर फोकस करना चाहिए विशेषकर बच्चे के सामाजिक और भाषायी विकास पर अधिक ध्यान देना अति आवश्यक होता है ताकि बच्चा प्रभावी रूप से समाजिक अंतर्क्रिया कर सके और स्वयं को समाज की मुख्य धारा में जोड़ सके।

You may also like

1 comment

इंटेलेक्चुअल डिसएबिलिटी: सीखने की अक्षमता - FreeValleys सितम्बर 21, 2023 - 6:40 अपराह्न

[…] Psychology and Mental Health […]

Reply

Leave a Comment

About Us

FreeValleys is innovative educational, learning and freelancing writing platform. The creative team of FreeValleys is continuously working with dedication for overall growth of the one through knowledge and wisdom to cultivate highest potential of his/her life resulting peace, love, joy, success and happiness.

Designed & Hosted By CodeBitel™