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बचपन की स्मृतियों का वर्तमान जीवन पर प्रभाव

अक्सर हम बचपन की अधिकतर घटनाओं को भूल जाते हैं जबकि कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो जीवन भर याद रहतीं है और जिन्हें भूलना आसान नहीं होता।

by FreeValleys

बचपन के दिन किसी भी व्यक्ति के जीवन के बड़े महत्वपूर्ण दिन होते हैं। जब व्यक्ति जन्म लेता है तो सबसे पहले वह अपनी माँ के संर्पक में आता है और माँ से ही सब कुछ सीखता है जो उसे आने वाली हर चुनौती के लिए सक्षम बनाता है। वह जितना अधिक सीखता है उतनी ही आसानी से वह बचपन में आने वाली चुनौतियों में सफल होता है।  इन चुनौतियों में सफलता के कारण ही बचपन चिंतामुक्त होता है।

बचपन में खेलने, उछलने-कूदने, खाने-पीने में बड़ा आनंद आता है। माता-पिता के साथ रिश्ता, अन्य परिवारजनों का स्नेह, प्यार और दुलार बड़ा अच्छा लगता हैं । हमउम्र बच्चों के साथ खेलना-कूदना और परिजनों के साथ घूमना-फिरना, मस्ती मजाक करना बस ये ही प्रमुख काम होते हैं, और यही करते-करते कब बचपन गुजर जाता है, पता ही नहीं चलता। सचमुच बचपन के दिन बड़े प्यारे और मनोरंजक होते हैं जैसे स्कूल का पहला दिन,वहाँ के शिक्षक से परिचय, सहपाठियों के साथ मित्रता, बातचीत, बचपन में की गई प्रतियोगिता, हंसी मजाक, क्रीड़ा, आदि।

बचपन की कुछ घटनाएं ऐसी भी होती हैं जो वक्त गुजरने के साथ साथ भुला दी जातीं हैं जिन्हें हमारा दिमाग लम्बे समय तक संचित कर पाने में असमर्थ होता है क्योंकि दिमाग को भी सूचनाओं को संग्रह करने के लिए पर्याप्त स्थान की आवश्यकता होती है, इन्हीं सूचनाओं और घटनाओं को याद रखने की क्षमता स्मृति कहलाती है।

कुछ घटनाएं ऐसी होतीं हैं जिन्हें याद रख पाना थोड़ा मुश्किल होता है। अक्सर हम बचपन की अधिकतर घटनाओं को भूल जाते हैं जबकि कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो जीवन भर याद रहतीं है और जिन्हें भूलना आसान नहीं होता। ये घटनाएं समय बीतने के साथ साथ मजबूती से हमारे दिमाग मे घर करती जातीं हैं।

बचपन की स्मृतियां

बचपन की स्मृतियां हर व्यक्ति के जीवन की महत्वपूर्ण हिस्सा होतीं हैं जिस समय वह अपने जीवन का बेहद खूबसूरत समय गुजारता है। ये स्मृतियां अच्छी भी होतीं हैं और बुरी भी होतीं हैं। कुछ स्मृतियां लंबे समय तक व्यक्ति को याद रहतीं हैं तथा कुछ स्मृतियां बहुत कम समय के लिए याद रखी जा सकतीं हैं जिन्हें व्यक्ति जल्दी भूल जाता है। स्मृतियां प्रिय भी हो सकतीं हैं, जिन्हें व्यक्ति सदैव याद रखना चाहता है और स्मृतियां अप्रिय भी जिन्हें व्यक्ति हमेशा हमेशा के लिए भूलना चाहता है।

यह स्मृति ही है जिसके माध्यम से हमारा जीवन सुचारू रूप से चलता है।  स्मृतियां हमें अपनी गलतियों से सीखने और जीवन को बेहतर बनाने में मदद करती हैं। किसी भी व्यक्ति के लिए उसकी बचपन की यादें सबसे प्रिय होती हैं जिनके द्वारा व्यक्ति के अनुभवों का भी सृजन होता है। ये स्मृतियां अंदर के बच्चे को जीवित रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा, यह आगे चलकर वयस्क जीवन को प्रभावित तो करतीं ही हैं, साथ ही वयस्क जीवन में मुस्कुराहट का एक कारण भी बनती हैं।

हालाँकि कुछ कटु अनुभव भी हो सकते हैं, जो व्यक्ति की जीवन पर असर डालते हैं लेकिन अगर व्यक्ति चाहे तो इन्हीं कटु अनुभवों से सीखकर जीवन में बहुत कुछ कर सकता है। ये स्मृतियां व्यक्ति क जीवन को कई प्रकार से प्रभवित करती हैं:

सिगमंड फ्रायड ने भी इस बात पर बल दिया कि बचपन की अप्रिय घटनाओं और इच्छाओं को व्यक्ति दमित करता जाता है  और यही दमित घटनाएं और इच्छाएं किशोरावस्था जीवन को प्रभावित करतीं हैं। यदि बचपन की इन घटनाओं को व्यक्ति भूल भी जाता है तो यही दमित की हुईं घटनाएं किशोरावस्था में उभर के सामने आतीं हैं और उसके कार्य एवं व्यवहार को प्रभावित करती हैं।

स्मृतियां और तनाव 

बचपन की सुखद स्मृतियों से व्यक्ति में तनाव स्तर कम होता है और व्यक्ति के जीवन मे सकरात्मकता बनी रहती है क्योंकि सुखद घटनाएं हमेशा कार्टिसोल हार्मोन को संतुलित करतीं हैं जिस कारण तनाव कम होता है। वहीं अप्रिय स्मृतियों से व्यक्ति में तनाव स्तर में वृद्धि होती है जिससे कार्टिसोल हार्मोन की मात्रा बढ़ती है तो तनाव का स्तर भी बढ़ जाता है।

स्मृतियां और संवेगात्मक परिपक्वता 

बचपन मे अगर बच्चे को सुरक्षित माहौल मिलता है और बच्चा पूरी तरह से स्वयं को सुरक्षित महसूस और सहज महसूस करता है तो किशोरावस्था में वही बालक संवेगात्मक रूप से परिपक्व हो जाता है और और अपने संवेगों को स्वतंत्र रूप से खुलकर अभिव्यक्त करता है नहीं तो उसके अंदर असुरक्षा की भावना विकसित होती है जिससे वह स्वयं को औरों से अलग थलग तो पता ही है साथ ही वह औरों से स्वयं को हीन समझने लगता है। इस कारण व्यक्ति में नकारात्मक संवेगों का विकास होता है।

स्मृतियां एवं स्वास्थ्य 

बचपन की सुखद यादों से हमारे स्वास्थ्य का भी निर्धारण होता है विशेष रूप से मानसिक स्वास्थ्य का। क्योंकि बचपन ऐसी घटनाएं जिनसे सुखद अनुभूति होती है, हमारे भविष्यगत जीवन की मजबूत आधारशिला होती हैं। यह आधार बनकर जीवनभर सकरात्मक दृष्टिकोण को विकसित करने में सहायक होती है और हम सफल लक्ष्यों को निर्धारित कर उन्हें प्राप्त करने की ओर सदैव अग्रसर रहते हैं।

स्मृतियों का चुनाव एवं प्रभाव

व्यक्ति के जीवन की कुछ घटनाएं ऐसी भी हो सकती हैं कि जिनका प्रभाव व्यक्ति पर जीवन भर रहता है। ऐसी घटनाएं बहुत दर्दनाक भी हो सकती हैं जो व्यक्ति चाहकर भी नहीं भूल पाता। ये घटनाएं या तो व्यक्ति के जीवन को बहुत अच्छा बनाने में उसे मदद करतीं हैं या फिर व्यक्ति उसी को लेकर जीवन भर परेशान होता है और नकारात्मकता भरी जिंदगी जीने को मजबूर होता है।

जो व्यक्ति अपनी बचपन मे घटित चीजों को बेहतर ढंग से याद रख पाते हैं, वे अपनी व्यक्तिगत पहचान को उतना ही बेहतर ढंग से विकसित कर पाने में सक्षम होते हैं और ऐसे लोगों का व्यक्तित्व विकास भी सन्तुलित और सहज होता है। ये लोग अपने वर्तमान घटनाओं को बचपन की स्मृतियों के साथ आसानी से सहसम्बन्धित कर चीजों के सकरात्मक पहलूओं को ध्यान में रखकर आगे बढ़ते हैं ताकि अपने जीवन मे बेहतर कार्य कर सकें।

यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह बचपन की स्मृतियों से किस प्रकार प्रभावित होकर अपने जीवन को किस दिशा और दशा में रूपांतरित करता है।

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