जब किसी व्यक्ति के निश्चित विषय से सम्बंधित उसकी क्षमताओं, योग्यताओं अथवा ज्ञान का मूल्यांकन किसी विशेष प्रारूप के माध्यम से किया जाता है तो इसी को परीक्षा या एग्जाम कहा जाता है। यदि वह व्यक्ति स्वयं में ज्ञान और जानकारी से परिपूर्ण है तथा उसमें योग्यता और क्षमता है तो वह सरलतापूर्वक इसमें सफल हो जाता है और यदि उसमें जानकारी अभाव रहता है तो वह फेल भी हो सकता है।
कई बार ऐसा भी हो सकता है कि परीक्षा में असफल होने का कारण बाह्य परिस्थितियां भी ही सकती हैं जो परीक्षा को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं। यह व्यक्ति और उसकी काबिलियत पर निर्भर करता है कि वह कितने सटीक और सरल तरीके से एग्जाम को पास करता है। जब व्यक्ति का सामना किसी भी एग्जाम से होता है तो उससे पहले उसको एग्जाम से सम्बंधित तैयारी करनी होती है ताकि वह अच्छा प्रदर्शन कर परीक्षा में पास हो सके।
व्यक्ति कोई भी जानकारी अथवा ज्ञान किसी न किसी से, कहीं न कहीं से सीखता है अथवा उसके ज्ञान का कोई न कोई स्रोत और संसाधन होता है जिसके माध्यम से वह नई चीजें सीखता है और पहले से सीखी हुई चीजों में मोडिफिकेशन करता है ताकि उस जानकारी को बेहतर बनाया जा सके जो उसने पहले से सीख रखी है।
इसका अनुभव, कि कौन सी जानकरी सही है और कौन से जानकरी गलत है, उसके अभ्यास पर निर्भर करता है, वह जितनी बार अभ्यास करेगा, सीखने में वह उतना ही अधिक पारंगत होगा। इन चीजों को सीखकर जब परीक्षा की बारी आती है तब उसे अपने इसी सीखे हुए ज्ञान का निष्पादन करना होता है, उसे अपने ज्ञान का प्रदर्शन करना होता है। परीक्षा की तैयारी के लिए निम्न बातों का ध्यान रखे जाने से भी परीक्षा के दौरान होने वाली समस्याओं को कम अथवा समाप्त किया जा सकता है।
परीक्षा के डर को करें दूर
डर ही व्यक्ति में एग्जाम के प्रति तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न करता है, अगर व्यक्ति में स्वयं के प्रति पूरा विश्वास होता है तो वो परीक्षा का सामना करने में हिचकिचाता नहीं है। परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए आवश्यक है कि परीक्षा की तैयारी सर्वोत्तम ढंग से की जाए ताकि असफल होने का डर न रहे और असानी से परीक्षा को पास किया जा सके।
परीक्षा की तैयारी करने के दौरान अनेकों समस्याओं से गुजरना पड़ता है लेकिन यदि परीक्षा के पैटर्न को सही ढंग से जाना गया है तो उनकी सम्पूर्ण जानकारी व्यक्ति को होती है। उस पैटर्न के आधार पर तैयारी करने से और बार बार अपनी मेमोरी में उसे दोहराने से परीक्षा को आसान बनाया जा सकता है। रिवीजन करने में थोड़ा समय अवश्य लगता है किन्तु यही वह मूल कारण है जिससे सफलता प्राप्त की जा सकती है। अगर एग्जाम के से पहले किसी प्रकार का दबाव होता है तो उसे शीघ्रता के साथ समाप्त कर लेना उचित है नहीं तो यह आगे चलकर परीक्षा के समय मुश्किलें बढ़ा सकता है।
समय प्रबंधन
एग्जाम की तैयारी सदैव समय प्रबंधन अथवा टाइम मैनेजमेंट को ध्यान में रखकर की जाए तो अच्छे परिणाम प्राप्त होने के अवसर बढ़ जाते हैं। इसमें रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी दिनचर्या भी शामिल है। अपने सभी कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर डिवाइड कर एक उचित टाइम टेबल बनना एक अच्छी तकनीक है साथ ही किस विषय को कितना समय देना है यह भी परीक्षा में सफलता हेतु बहुत आवश्यक अवयव है।
अध्ययन सामग्री का रिवीजन
जिस भी परीक्षा की तैयारी की जाती है, उसकी अध्ययन या शिक्षण सामग्री से सम्बन्धित प्रत्येक पहलू का बारीकी से दोहराना जरूरी होता है ताकि वह मेमोरी में गहराई से स्थापित हो सके। दोहराने से एक फायदा यह भी होता है कि जो भी पढ़ा या समझा जा रहा है, वह लंबे समय तक याद रहता है और उसे रिकॉल करने की अवधि भी बहुत कम होती है अर्थात उसे कम अवधि में शीघ्रता के साथ लिखा अथवा बताया जा सकता है।
सिलेबस एवं नोट्स
जब किसी परीक्षा की तैयारी की जाती है तो उसके सिलेबस का गहन अध्ययन करना आवश्यक होता है। सिलेबस का गहन अध्ययन करने से कोई भी जानकारी छूटती नहीं है, फिर चाहें एग्जाम में शुरू से पूछा जाए या अंत से, सवालों के जवाब आसानी से दिए जा सकते हैं। क्योंकि व्यक्ति को उस पूरे सिलेबस की जानकारी पहले से रहती है।
पूरे सिलेबस को कवर करने के बावजूद भी नोट्स अवश्य बनाने चाहिए। पूर्व के एग्जाम में पूछे गए प्रश्नों को और एग्जाम पैटर्न को ध्यान में रखकर ही नोट्स बनाने चाहिए जिससे परीक्षा में होती है।
स्वयं को समय देना और आत्मविश्वास में वृद्धि
परीक्षा की तैयारी करते समय स्वयं को भी समय देना अत्यन्त आवश्यक होता है। स्वयं की देखरेख करना एवं आवश्यक चीजों की पूर्ति जैसे मनोरंजन आदि में भी समय व्यतीत करना चाहिए क्योंकि सिर्फ पढ़ाई, पढ़ाई और पढ़ाई से ही परीक्षा को पास नहीं किया जा सकता।
यदि केवल पढाई ही करते रहेंगे और मतिष्क को आराम नहीं देंगे तो ऐसा करने से मतिष्क पर अतिरिक्त बोझ आ सकता है जिससे मानसिक स्थिति में गिरावट आ सकती है तथा नकरात्मकता भी विकसित होने लगती है।
यदि मतिष्क को आराम दिया जाता है अर्थात कुछ ऐसी हैल्थी एक्टिविटीज की जाती है जिससे मतिष्क को आराम मिले तो ऐसा करने से मन शांत होता है और व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास को विकसित करने में सहायता मिलती है। शांत मन और आत्मविश्वास से परिपूर्ण व्यक्ति में सदैव उत्साह और गर्मजोशी का भाव रहता है। जिससे वह अपने प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त कर सकता है।
परीक्षा की तैयारी करने के लिए उचित मार्गदर्शन अति आवश्यक होता है।अतः ऊपर बताये गए मूलभूत उपायों एवं दिशा निर्देशों को ध्यान में रखने से किसी भी एग्जाम में सफलता प्राप्त की जा सकती है।