ईटिंग डिसऑर्डर एक गम्भीर मनोवैज्ञानिक समस्या है जिसमें व्यक्ति या तो भोजन से अधिक परहेज करता है या भोजन का अत्यधिक सेवन करता है। ईटिंग डिसऑर्डर होने पर व्यक्ति में भोजन के प्रति निर्भरता हो जाती है जो कि उसके दैनिक जीवन को प्रभावित करती है। यह एक ऐसी समस्या है जो व्यक्ति को हानिकारक खाने की आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित करती है।
ईटिंग डिसऑर्डर मुख्य रूप से किशोर लड़कियों और युवा महिलाओं में अधिक दृष्टिगोचर होता है। जो सामान्य खाने के व्यवहार को ख़राब करता है। इस विकार की पहचान तब होती है जब कोई व्यक्ति खाने के व्यवहार में गंभीर गड़बड़ी का अनुभव करता है जैसे खाने के प्रति अत्यधिक परेशानी होना जिससे शरीर के वजन और आकार के बारे में अधिक चिंता।
ईटिंग डिसऑर्डर होने पर भोजन के सेवन में मैनिपुलेशन होता है जिसके कारण व्यक्ति या तो भोजन बहुत अधिक करता है अथवा भोजन बिल्कुल न के बराबर करता है और इस प्रकार यह माना भी जा सकता है कि ईटिंग डिसऑर्डर में लोग अपने शरीर के आकार और वजन के प्रति जुनूनी हो जाते हैं जिससे या तो वजन बहुत अधिक बढ़ जाता है अथवा वजन बहुत तेजी से घटने लगता है।
ईटिंग डिसऑर्डर गंभीर प्रकार की स्वास्थ्य स्थिति हैं जो लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करती हैं। यह विकृति भोजन, खाने, वजन और आकार के बारे में लोगों के सोचने के तरीके और उनके खाने के व्यवहार से सम्बंधित होती है जो कि एक प्रकार से खाने का अतिरंजित रूप धारण कर लेती है।
ईटिंग डिसऑर्डर का यदि प्रभावी ढंग से और सही समय पर उचित इलाज नहीं किया जाता है, तो खाने के विकार दीर्घकालिक समस्याएं बन सकते हैं और, कुछ मामलों में तो इस विकार से पीड़ित लोगों की मृत्यु तक हो जाती है। ईटिंग डिसऑर्डर में एनोरेक्सिया नर्वोसा, बुलिमिआ नर्वोसा तथा बिंज ईटिंग डिसऑर्डर मुख्य हैं।
प्रत्यक्ष प्रभाव-
ईटिंग डिसऑर्डर लोगों के दैनिक जीवन के व्यवहार के अलावा उनके स्वास्थ्य, उनकी भावनाओं और जीवन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करता है। ईटिंग डिसऑर्डर से प्रभावित लोगों का व्यवहार उनके शरीर को आवश्यक पोषण प्राप्त करने की क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। परिणामस्वरूप उनको उनके शरीर मे पोषक तत्वों की मात्रा बहुत बढ़ जाती है अथवा बहुत घट जाती है। खानपान संबंधी यह विकार हृदय, पाचन तंत्र, हड्डियों, दांतों और मुंह को नुकसान पहुंचाते ही हैं साथ ही वे अन्य बीमारियों जैसे अवसाद, चिंता, सेल्फ हार्म और सुसाइड आदि जैसे गम्भीर बीमारियों का भी कारण बन सकते हैं।
कब और कैसे निजात पाएं-
ईटिंग डिसऑर्डर से पीड़ित बहुत से लोग यह नहीं सोचते ही नही हैं कि उनको खाने पीने सम्बन्धी समस्या है और उनको उपचार की आवश्यकता है। कई खाने संबंधी विकारों की मुख्य विशेषताओं में से एक यह है कि व्यक्ति को एहसास नहीं होता है कि उनमें इस बीमारी के लक्षण कितने गंभीर हैं। यह प्रवत्ति उन्हें परामर्श लेने से रोकती है जिससे यह समस्या नियंत्रित कर पाना अत्यंत ही कठिन होता है। लेकिन इसके प्रति सेल्फ अवेरनेस जितनी अधिक होगी, उतना ही ठीक होने के उम्मीद भी बढ़ जाती है क्योंकि ईटिंग डिसऑर्डर के प्रति जागरूक होना अति आवश्यक होता है जो स्वयं के इलाज होने में चिकित्सक से परामर्श करने में सहायक है।
ईटिंग डिसऑर्डर होने पर शीघ्र अति शीघ्र उपचार करना अति आवश्यक होता है नहीं तो इससे पूरा जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है और ठीक होने की संभावना कम होने लगती है। कभी-कभी लोगों को खाने के व्यवहार में समस्या हो सकती है जो खाने के विकार के कुछ लक्षणों के समान होती है, लेकिन लक्षण खाने के विकार के निदान के लिए दिशानिर्देशों को पूरा नहीं करते हैं। लेकिन खान-पान की ये समस्याग्रस्त आदतें अभी भी स्वास्थ्य और खुशहाली को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं।
यदि आपको भी खाने के व्यवहार में समस्या है जो परेशानी का कारण बन रही है या आपके जीवन या स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है, तो आपको इस पर जल्दी ही ध्यान देने की आवश्यकता है।