सोचिये अगर हमारे हाथ नहीं होते तो हमारा जीवन कैसा होता? आखिरकार इंसान ने सारी मशीनें अपने हाथों से ही तो बनाई है और इंसानी हाथ किसी पैचीदा मशीन से कम नहीं है। हमारे हाथ में 27 हड्डियां होती है, हमारे शरीर के किसी भी हिस्से में इतनी हड्डिया नहीं होती जितनी हमारे हाथ में हाथ हैं। इन हड्डियों को 30 तरह की मांसपेशियां संभालती हैं, इनकी ही वजह से हम चीजों को पकड़ पाते है अपनी उंगलियों का इस्तेमाल कर पाते हैं। उंगलियों के टिप पर कुछ भी, बारीक़ नसों के कारण महसूस कर पाते हैं। मांसपेशियों और नसों के जाल को चलाने के लिए दिमाग को बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
दिमाग़ का वो हिस्सा जो हमारे हाथों को चलाने के लिए जिम्मेदार होता है, वह बाकी के हिस्से की तुलना में बड़ा होता है, इसी करण हम अपने हाथों को इतने कामों में उपयोग कर पाते है। दिमाग़ का वो हिस्सा जो हाथों के कोऑर्डिनेशन और बेहतर ट्यूनिंग का ध्यान रखता है उसे सेरेब्रम कहते हैं। दिमाग़ के आधे से अधिक न्यूरोंस इसी हिस्से में होते हैं, यही हमें मोटर स्किल्स सीखने में मदद करता है जिन्हें एक बार सीख कर हम कभी भूलते नहीं हैं। अब तक इतना तो हमें समझ आ ही गया है कि हमारे हाथ कितने अनमोल हैं, तो आइये जानते हैं कि हम अपने हाथों का कैसे ध्यान रख रहे हैं?
WhatsAppitis : आखिर ये होता क्या है?
ये दुनिया बहुत मजेदार लगती है, ज़ब हम टाइपिंग, स्वाइपिंग और स्क्रॉलिंग के जाल में फंस जाते हैं। इस डिजिटल युग में हमारे अंगूठे पर बहुत ज्यादा तनाव और भार आ गया है, दिनभर फोन पर लगे रहने से हम अपना अंगूठा खराब करते जा रहे हैं जिसकी वजह से कहीं ऐसा ना हो की जल्दी ही हमारा ये अंगूठा स्मार्टफ़ोन थंब कहलाने लगे! मान लीजिये अगर हम दिन में एक घंटा शार्ट विडिओज देखते हैं तो एवरेज एक मिनट के हिसाब से 60 बार स्वाइप करते हैं, वहीं अगर हमें कोई उँगलियों की एक्सरसाइज बता दी जाये तो हम नहीं करेंगे।
हम दिनभर सोशल मीडिया पर रहते हैं और ऐसे ही लगे रहेंगे तो बहुत जल्दी WhatsAppitis के शिकार हो जायेंगे। ये कोई हंसी मज़ाक की बात नहीं है ना ही ये शब्द किसी व्हाट्सएप्प गुरु ने ईजाद किया है। ये एक असली बीमारी है जिसके शुरुआत में अंगूठे में दर्द या सूजन आ सकती है और अगर सही समय पर ध्यान नहीं दिया गया तो धीरे धीरे यह बढ़ने लगती है और नौबत मांसपेशियों की सर्जरी करने तक की भी आ सकती है। पहले ये बीमारी 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में ही होती थी लेकिन अब यह कम उम्र में ही देखी जा रही है।
WhatsAppitis शब्द 2014 में साइंस मैगज़ीन लांसेट में छपे एक आर्टिकल से सामने आया था, इसमें पहली बार इस शब्द का इस्तेमाल हुआ था। इस मैगज़ीन में बताया गया कि 34 साल की एक डॉक्टर ज़ब सुबह उठी तो उसकी कलाई में तेज दर्द हो रहा था। जब उससे पूछा गया कि उसने ऐसा क्या काम किया जिससे इतना तेज दर्द हुआ है तो उसने बताया कि बीते क्रिसमस वाले दिन उसने WhatsApp पर लोगों को क्रिसमस की शुभकामनायें दी थी और फ़ोन पर 6 घंटे बिताये थे।
इससे पहले साल 1990 में Nintendinitis नाम की बीमारी को ऐसे ही पहचान मिली क्योंकि उस समय बाजार में Nintendo नाम का विडिओ गेम चलन में था। जिसमें बच्चे घंटो विडिओ गेम में लगे रहते थे जिस तरह आज बड़ों का हाल सोशल मीडिया या डिजिटल गैजेट्स में हो गया है। वैसे इस बीमारी का असली नाम Tenosynovitis है। इसमें अक्सर अंगूठा में दर्द से शुरुआत होती है, आजकल ज्यादा कीबोर्ड चलाने से भी इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ रही है। तो क्या व्हाट्सएप्प हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है?
क्या करें?
हो सकता है कि आप में से कई लोग अपने जीवन में इससे जूझ भी रहे होंगे तो दर्द होने पर आप कूलिंग बैग लगा सकते हैं या मसाज कर सकते हैं और ज्यादा समस्या होने पर फिजिओथेरेपी भी कराई जा सकती है। इससे पहले कि डॉक्टर के पास जाना पड़ जाये, फोन को दोनों हाथों से इस्तेमाल करें और कोशिश करें कि अंगूठे का नहीं बल्कि उंगलियों का उपयोग करें।