बेहतर जीवन जीने के लिए स्वस्थ शरीर होने पर ही सक्रिय ढंग से जिया जा सकता है। शारिरिक रूप से चुस्त दुरुस्त होने से हमारे अंदर क्षमताओं का व्यापक विकास विकास होता है जिससे हम अपनी आयु के अनुसार गुणवत्तापूर्ण जीवन को सुगम बनाने में सफल रहते हैं।
एक स्वस्थ शरीर से ही हमारी आयु के अनुसार हमारे कार्य और व्यवहार का निर्धारण होता है कि हम अपनी आयु के अनुसार क्या होते हैं, कैसे दिखते हैं और कैसे व्यवहार करते हैं। अगर हम अपने शरीर को स्वस्थ रखते हैं तो दिमाग भी खुद व खुद सक्रिय रहता है ताकि जीवन को संतुलित ढंग से जिया जा सके।
स्वस्थ शरीर के लिए निम्न बिंदुओं पर ध्यान देने से शरीर अधिक बेहतर बनता है-
1) सन्तुलित आहार- आहार पर विशेष ध्यान देने के लिए हमें सर्वप्रथम यह निर्धारित करना होता है कि हमें क्या खाना है और क्या नही। सन्तुलित आहार में पर्याप्त प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर और वसा आदि का समावेश होने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है। वहीं दूसरी ओर असन्तुलित आहार से शरीर अनेक प्रकार की व्याधियों से ग्रसित हो जाता है।
2) नींद- कार्य करने के दौरान शरीर और दिमाग को आराम करने की जरूरत होती है क्योंकि शरीर के वाह्य और आंतरिक अंग क्रियाशील होकर शिथिल हो जाते हैं और शिथिल अंगों को पुनः कार्यशील होने के लिए सोने से शरीर को पर्याप्त आराम मिल जाता है और कोशिकाओं की मरम्मत होती रहती है और फिर शरीर सक्रिय ढंग से पुनः कार्य करने में सक्षम हो जाता है।
3) व्यायाम- नियमित व्यायाम का दैनिक दिनचर्या में अहम महत्व है। कम से कम 1 घण्टे रोजाना व्यायाम करने से हमारे शरीर की मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत होती हैं और साथ ही साथ फेफड़े, किडनी आदि आंतरिक अंग और सक्रिय होते हैं जिससे हमारे शरीर की कार्यक्षमता बढ़ जाती है।
4) मद्दपान और धूम्रपान- शारिरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए मद्दपान और धूम्रपान का सेवन बन्द करने से हमारे शरीर पर पड़ने वाले इनके कुप्रभावों से बचा जा सकता है जिसके कारण हमारा जीवन जीवन खतरे में नही पड़ता।
5) साफ सफाई- साफ सफाई शरीर की हो या आस पास के वातावरण की, स्वस्थ शरीर के लिए साफ सफाई का अपना महत्व है। शरीर और आसपास के वातावरण को स्वच्छ और साफ रखने से हम कई सारी बीमारियों के प्रकोप से बच जाते हैं।
स्वस्थ शरीर के लिए हम जितना ही अधिक शरीर की आवश्यकताओं के प्रति जागरूक होते हैं, उसी के अनुरूप उनको प्राथमिकता देते हुए उन्हें पूर्ण करने का प्रयास करते हैं क्योंकि अपना ख्याल रखने से अधिक जरूरी कुछ भी नही इसलिए इतना व्यस्त होने पर भी स्वयं के लिए समय निकाला ही जाता है। जीवन में सक्रिय और आनन्दमय रहने के लिए अपनी रुचियों को और अपने शौक को भी तरजीह दी जाती है ताकि आपके परिवार और मित्रों आदि से भी हमारे सम्बन्ध और भी अधिक प्रांगण हो जाते हैं।