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वर्तमान की उच्च प्रतियोगितापूर्ण एवं जटिल शिक्षा प्रणाली के समय में छात्रों पर दबाव बहुत महत्वपूर्ण विषय बन गया है क्योंकि छात्र अपने जीवन में बहुत दबाव का अनुभव करते हैं। इस दबाव को बहुत से छात्र झेल लेते हैं किंतु ऐसे भी छात्रों की संख्या बहुत है जो इस दबाव से नहीं उबर पाते तो वे किसी न किसी प्रकार की गलत दिशा में मुड़ जाते हैं।
माता पिता, अभिभावकों, शिक्षकों को छात्रों के दबाव को समझना अति आवश्यक है। यह दबाव एक प्रकार से छात्र द्वारा स्वयं से की गई उम्मीदों और माता पिता की उम्मीदों को पूरा करने से शुरू होता है और यह उम्मीदें इतनी अधिक बढ़ जातीं है कि छात्र उन्हें पूर्ण करने में स्वयं को असमर्थ पाता है।
वह अपने जीवन के शैक्षणिक, पाठ्येतर गतिविधियों, सामाजिक संपर्क और भविष्य की योजना से संबंधित आदि पहलुओं को बड़ी गहनता से अनुभव करता है जो उसके अंदर दबाव की स्थिति उत्पन्न करने में सहायक होते हैं। यह दबाव एक सीमा तथा मात्रा तक अच्छा भी हो सकता है जिसके कारण वह अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होते हैं किंतु जब यह दबाव सीमा से अधिक बढ़ जाता है तो फिर यह छात्रों के जीवन में परेशानियों का कारण बन जाता है।
माता-पिता अथवा अभिभावकों की उम्मीदें
माता-पिता अथवा अभिभावकों को अपने बच्चों की शैक्षणिक उपलब्धियों और भविष्य की सफलता के लिए उच्च उम्मीदें हो सकती हैं और होनी भी चाहिए किन्तु जब इन उम्मीदों का स्तर बच्चों की क्षमताओं से बाहर होता है तो बच्चों का दबाव से ग्रसित होना स्वाभाविक बात है। जिससे छात्रों पर अपने माता-पिता की आकांक्षाओं को पूरा करने और उन्हें निराश होने से बचने का अतिरिक्त दबाव बनता है।
प्रत्येक माता-पिता अथवाअभिभावक चाहतें हैं कि उसका बच्चा अधिक से अधिक अध्ययन कर बेहतर प्रदर्शन से परीक्षा में अच्छे परिणामों के साथ सफल हो। अभिभावकों अथवा माता पिता की यह चाहत अथवा प्रत्याशा भी छात्रों पर अनचाहा दबाव को बढ़ाती है।
यह दबाव आंतरिक हो सकता है, और बाह्य भी हो सकता है जो कि व्यक्तिगत लक्ष्यों और आकांक्षाओं से उत्पन्न हो सकता है, या बाहरी, माता-पिता, शिक्षकों, साथियों और समाज से आ सकता है। अब यह बच्चों पर और उनकी क्षमताओं पर निर्भर करता है कि वे किस सीमा तक दबाव सहन कर सकते हैं। क्योंकि प्रत्येक छात्र की क्षमता अलग अलग होती है।
शैक्षणिक दबाव
सभी छात्र शैक्षणिक रूप बेहतर करने, उत्कृष्टता प्राप्त करने, उच्च ग्रेड बनाए रखने और कठोर शैक्षणिक मानकों को पूरा करने का दबाव महसूस करते हैं जो तब और भी अधिक बढ़ जाता है जब छात्रों की परीक्षाएं आरम्भ होती हैं। परीक्षाओं में उपस्थित होने से पूर्व छात्र पूरी मेहनत और तत्परता के साथ परीक्षा की तैयारी करते हैं ताकि वे अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकें और उनका शैक्षणिक निष्पादन सर्वोत्तम रहे। अतः छात्रों पर अध्ययन से सम्बंधित शैक्षणिक दबाव भी अत्यधिक होता है।
साथियों का दबाव
बड़ी उम्र के छात्रों में उनके साथियों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ उनके साथ बने रहने के लिए भी अनचाहा दबाव रहता है। वे साथियों के मानदंडों और अपेक्षाओं के अनुरूप होने के लिए दबाव महसूस कर सकते हैं, जिसमें कभी-कभी जोखिम भरे व्यवहार में शामिल होना या ऐसे विकल्प चुनना शामिल हो सकता है जो उनके अपने मूल्यों या लक्ष्यों के साथ संरेखित नहीं हो सकते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि छात्र सही रास्ते से भटकने लगते हैं जो छात्र हित में फलदायी नहीं होता।
सामाजिक एवं वित्तीय दबाव
छात्र सामाजिक रूप से फिट होने, दोस्ती बनाए रखने और सहकर्मी संबंधों की जटिलताओं से निपटने के लिए दबाव महसूस करते हैं। वे चाहते हैं कि उनके अच्छे मित्र बनें, अपने परिवेश में उनका सामाजिक स्तर उच्च स्तरीय रहे, आसपास के लोगों से उनके सम्बन्ध मधुर हों, और जीवन की सभी चुनौतियों का सामना कर सकें। ऐसी स्थिति से उन पर काफी सामाजिक दबाव आ जाता है। सामाजिक दबाव के कारण छात्र कभी कभी स्वयं को उपेक्षित अथवा समाज से अलग थलग महसूस करने लगते हैं।
बहुत से छात्र ऐसे होते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति निम्न स्तर की होती है तो वे शिक्षा के लिए ऋण लेते हैं, इस ऋण को चुकाने के लिए छात्रों में वित्तीय दबाव का संकट उभरता है। इसके अलावा छात्रों की महंगी पढ़ाई लिखाई का खर्च, शिक्षण के दौरान उपयोग में लाए जाने वाले उपकरण आदि के कारण छात्रों पर वित्तीय दबाव भी बढ़ता है।
कॉलेज एवं करियर का दबाव
प्राइमरी अध्ययन के उपरांत जैसे-जैसे छात्र स्नातक स्तर की पढ़ाई के करीब पहुंचते हैं, तो उन पर अपने भविष्य के बारे में निर्णय लेने का दबाव बढ़ने लगता है। वे अपने रुचि और कौशल के आधार पर शिक्षा का चयन करते हैं ताकि उनका अच्छा कैरियर बन सके तथा उज्जवल भविष्य हो।
छात्रों पर कॉलेज के चयन का भी अत्यधिक दबाव रहता है क्योंकि यही उनके कैरियर को बना भी देता है और बिगाड़ भी देता है। इसलिए सभी छात्रों को बेहतर करियर बनाने का दबाव शिक्षा के इस स्तर पर अधिक रहता है।
वर्तमान की उच्च प्रतियोगितापूर्ण एवं जटिल शिक्षा प्रणाली के समय में माता-पिता, अभिभावकों, शिक्षकों और स्कूलों के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वे छात्रों के दबाव पर ध्यान देते हुए उसे कम करने का प्रयास करें। और छात्रों में उत्पन्न अतिरिक्त दबाव को कम करने के लिए मूलभूत उपाय , शिक्षा प्रणाली को लचीला बनाने और छात्रों के जीवन में एक स्वस्थ संतुलन बनाए रखने में मदद करने के लिए आवश्यक सहायता प्रणाली, संसाधन और रणनीतियाँ प्रदान करने के साथ साथ हरसम्भव सहयोग करना चाहिए ताकि छात्र दबाव को प्रबंधित कर उससे निपट सके।
छात्रों के साथ उनकी भावनाओं और चिंताओं के बारे में खुला संचार उन्हें उन दबावों से निपटने और सामना करने में मदद कर सकता है जिनका वे सामना करते हैं। यदि आवश्यक हो सके तो छात्रों को परामर्श उपलब्ध कराते हुए उनके ऊपर का दबाव कम करना चाहिए।