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छात्रों में तनाव के कारण और उपाय

छात्र अपने जीवन के शैक्षणिक, पाठ्येतर गतिविधियों, सामाजिक संपर्क और भविष्य की योजना से संबंधित आदि पहलुओं को बड़ी गहनता से अनुभव करता है।

by Meenakshi Bhatt
छात्रों पर तनाव आज के समय मे बहुत महत्वपूर्ण विषय बन गया है क्योंकि छात्र अपने जीवन में बहुत दबाव का अनुभव करते हैं। इस तनाव को बहुत से छात्र झेल लेते हैं किंतु ऐसे भी छात्रों की संख्या बहुत है जो इससे नहीं उबर पर पाते तो वे किसी न किसी प्रकार की गलत दिशा में मुड़ जाते हैं।
छात्रों के दबाव को समझना उनके माता पिता को, उनके अभिभावकों को, उनके शिक्षकों को अति आवश्यक है ताकि वे छात्रों में होने वाले तनाव को समझते हुए उसे कम करें।
यह दबाव एक प्रकार से छात्र द्वारा स्वयं से की गई उम्मीदों को पूरा करने, माता पिता की उम्मीदों को पूरा से शुरू होता है और यह उम्मीदें इतनी अधिक बढ़ जातीं है कि छात्र उन्हें पूर्ण करने में स्वयं को असमर्थ पाता है।
छात्र अपने जीवन के शैक्षणिक, पाठ्येतर गतिविधियों, सामाजिक संपर्क और भविष्य की योजना से संबंधित आदि पहलुओं को बड़ी गहनता से अनुभव करता है जो उसके अंदर तनाव की स्थिति उत्पन्न करने में सहायक होते हैं।
यह तनाव एक सीमा तथा मात्रा तक अच्छा भी हो सकता है जिसके कारण छात्र अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होते हैं किंतु जब यह सीमा से अधिक बढ़ जाता है तो फिर छात्रों के जीवन में परेशानियों का कारण बन जाता है।
माता-पिता को अपने बच्चों की शैक्षणिक उपलब्धियों और भविष्य की सफलता के लिए उच्च उम्मीदें हो सकती हैं और होनी भी चाहिए किन्तु जब इन उम्मीदों का स्तर बढ़ जाता है कि उनके बच्चों की क्षमताओं से बाहर होता है तो उनके बच्चों का दबाव से ग्रसित होना स्वाभाविक बात है।
इसलिए छात्रों पर अपने माता-पिता की आकांक्षाओं को पूरा करने और उन्हें निराश होने से बचने का अतिरिक्त दबाव बनता है।
यह दबाव आंतरिक हो सकता है, और वाह्य भी हो सकता है जो कि व्यक्तिगत लक्ष्यों और आकांक्षाओं से उत्पन्न हो सकता है, या बाहरी, माता-पिता, शिक्षकों, साथियों और समाज से आ सकता है।  अब यह बच्चों पर निर्भर करता है, उनकी क्षमताओं पर निर्भर करता है कि वे किस हद तक तनाव सहन कर सकते हैं।

शैक्षणिक तनाव

छात्रों पर अध्ययन से सम्बंधित तनाव होता है। सभी छात्र शैक्षणिक रूप बेहतर करने के लिए, उत्कृष्टता प्राप्त करने, उच्च ग्रेड बनाए रखने और कठोर शैक्षणिक मानकों को पूरा करने का दबाव महसूस कर सकते हैं जो तब और भी अधिक बढ़ जाता है जब छात्रों की परीक्षाएं आरम्भ होती हैं।
परीक्षाओं में उपस्थित होने से पूर्व छात्र पूरी मेहनत, लग्न और तत्परता के साथ परीक्षा की तैयारी करते हैं ताकि वे अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकें और उनका शैक्षणिक निष्पादन सर्वोत्तम रहे।

साथियों का तनाव

बड़ी उम्र के छात्रों में उनके साथियों की संख्या बढ़ने लगती है जिसके साथ साथ उनकी जरूरतों का भी अनचाहा दबाव छात्रों पर एक दूसरे का रहता है। छात्र साथियों के मानदंडों और अपेक्षाओं के अनुरूप होने के लिए दबाव महसूस कर सकते हैं, जिसमें कभी-कभी जोखिम भरे व्यवहार में शामिल होना या ऐसे विकल्प चुनना शामिल हो सकता है जो कभी कभी उनके अपने मूल्यों या लक्ष्यों के साथ मेल नहीं खाते हैं।

सामाजिक दबाव

छात्र सामाजिक रूप से फिट होने, दोस्ती बनाए रखने और सहकर्मी संबंधों की जटिलताओं से निपटने के लिए तनाव महसूस कर सकते हैं। वे चाहते हैं कि उनके अच्छे मित्र बनें, अपने परिवेश में उनका सामाजिक स्तर उच्च स्तरीय रहे,  आसपास के लोगों से  उनके सम्बन्ध मधुर हों,  और जीवन की सभी चुनौतियों का सामना कर सकें।
ऐसी स्थिति से उन पर  काफी सामाजिक तनाव आ जाता है। सामाजिक तनाव के कारण छात्र कभी कभी स्वयं को समाज से अलग थलग महसूस करते हैं।
अभिभावकों का दबाव

छात्रों पर अभिभावकों का दबाव भी बहुत अधिक होता है। हर अभिभावक चाहता है कि उसका बच्चा अधिक से अधिक अध्ययन कर बेहतर प्रदर्शन से परीक्षा में अच्छे परिणामों के साथ सफल हो।  अभिभावकों अथवा माता पिता की यही चाहते, छात्रों पर अनचाहा तनाव को बढ़ाती है। इसका परिणाम यह होता है कि छात्र सही रास्ते से भटकने लगते हैं जो छात्र हित में कहीं से कहीं तक फलदायी नहीं होता।

आर्थिक तनाव
बहुत से छात्र ऐसे होते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति निम्न स्तर की होती है तो वे शिक्षा के लिए ऋण लेते हैं, इस ऋण को चुकाने के लिए छात्रों में वित्तीय दबाव का संकट उभरता है। इसके अलावा छात्रों की महंगी पढ़ाई लिखाई का खर्च, शिक्षण के दौरान उपयोग में लाए जाने वाले उपकरण आदि के कारण छात्रों पर आर्थिक तनाव का खतरा बढ़ता है।
कॉलेज और करियर का तनाव
शुरुआती अध्ययन के उपरांत जैसे-जैसे छात्र स्नातक स्तर की पढ़ाई के करीब पहुंचते हैं, तो उन पर अपने भविष्य के बारे में निर्णय लेने का तनाव बढ़ने लगता है। वे अपने रुचि और कौशल के आधार पर शिक्षा का चयन करते हैं ताकि उनका अच्छा कैरियर बन सके तथा उज्जवल भविष्य हो।
छात्रों पर चयन का अत्यधिक दबाव रहता है क्योंकि यही उनके कैरियर को बना भी देता है और बिगाड़ भी देता है। इसलिए लगभग सभी छात्रों को बेहतर कैरियर बनाने का दबाव रहता ही है।
क्या करें 
माता-पिता, शिक्षकों और स्कूलों के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वे छात्रों के दबाव पर ध्यान देते हुए उसे कम करने का प्रयास  करें और छात्रों पर किसी भी प्रकार का दबाव न पड़े, इसके प्रति सचेत रहें नहीं तो छात्रों के जीवन पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है तथा इसके कई नकरात्मक परिणाम मिलते हैं।
माता-पिता, शिक्षकों, स्कूलों और आस पास क वातावरण से सहायता मिलने से छात्रों द्वारा किए जाने वाले नकारात्मक व्यवहार में कमी तो आती ही है साथ ही
यह सहयोग उनके शैक्षणिक तनाव को रोकने, लचीला बनाने और उनके जीवन में एक स्वस्थ संतुलन बनाए रखने में मदद करने के लिए आवश्यक सहायता  प्रयास, प्रणाली, संसाधन और रणनीतियाँ प्रदान करता है।
छात्रों के साथ उनकी भावनाओं और चिंताओं के बारे में खुला संचार उन्हें तनाव से निपटने और सामना करने में मदद कर सकता है। यदि आवश्यक हो सके तो छात्रों को परामर्श उपलब्ध कराते हुए उनके तनाव को कम करना चाहिए।
इसके अलावा यदि छात्र स्वयं अपने लक्ष्यों की प्राथमिकता निर्धारित कर चरणबद्ध तरीके से आवश्यक क्रियाकलापों को करता है तो वह स्वयं भी अपने ऊपर पड़ने वाले दबाव को कम कर सकता है।
इसी प्रकार के उपयोगी लेख पढ़ने के लिए हमारे साथ जुड़े रहिये।

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2 comments

Sapna मार्च 19, 2024 - 4:13 पूर्वाह्न

Practically very useful …

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Divyank Singh मार्च 19, 2024 - 4:16 पूर्वाह्न

Bahut sahi likha hai

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