इनसोम्निया
वर्तमान परिपेक्ष्य में जीवन में जहां व्यस्तता अधिक बढ़ गई हैं वहीं लोगों की भागदौड़ भी अधिक हुई है जिससे व्यक्ति को स्वयं के हित में कुछ भी करने के लिए बच नहीं रहा है। इसलिए मानवीय जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति क्षीण होती जा रही है। स्लीप अथवा नींद इन्ही प्रमुख आवश्यकताओं में से एक आवश्यकता है।
व्यक्ति का शरीर दिन भर की मेहनत के बाद थक जाता है और उसे रेस्ट की जरूरत पड़ती है, ताकि पुनः ऊर्जा का संचय हो सके। इसी रेस्ट के लिए नींद अति आवश्यक होती है लेकिन आजकल के कार्यकलाप और दिनचर्या के कारण शेड्यूल इतना गड़बड़ हो गया है कि नियमित तौर पर नींद भी दुर्लभ होती जा रही है और बड़ी संख्या में लोग नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं।
कई बार ऐसा होता है कि कार्य न करने से शरीर को रेस्ट की आवश्यकता नहीं होती है और कई बार जब अधिक कार्य करने की वजह से शरीर अधिक थक जाता है तो दोनों ही स्थितियों में सोने के दौरान अक्सर नींद नहीं आती है और अगर आती भी है तो बार बार निद्रा चक्र में डिस्टर्बेंस होता रहता है जिसके कारण सही ढंग से नींद पूरी नहीं हो पाती।
अच्छी सेहत के लिए पूरी तरह से और अच्छी नींद लेना बेहद जरूरी होता है जिससे शरीर को पुनः रिचार्ज होने का मौका मिलता रहे और नींद पूरी होने के बाद स्वयं को तरोताजा महसूस कर सकें। ऐसा कभी कभी हो सकता है कि नींद न आए किन्तु अगर यही समस्या लगातार बनी रहती है तथा रात में नींद नहीं आती तो इस समस्या को इनसोम्निया कहा जाता है।
इनसोम्निया एक ऐसी स्थिति है जिसमें नींद में कठिनाई का अनुभव होता है। इस स्थिति में सोने में कठिनाई, सोते रहने में समस्या, रात में बार-बार जागना, डिस्टर्ब स्लीप, रात में देर से सोना या सुबह जल्दी जागना शामिल होता है। सोने में इस परेशानी के परिणामस्वरूप दिन के दौरान व्यक्ति स्वयं को तरोताजा महसूस नहीं करता जिसके कारण दैनिक गतिविधियों को पूर्ण करने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। इनसोम्निया में रात में देर से नींद आती है अथवा सुबह जल्दी नींद टूट जाती है।
इनसोम्निया क्यों और कैसे-
अधिकतर इनसोम्निया के न तो ऑनसेट का पता रहता है और न ही इनसोम्निया के कारणों का पता लग पता है अर्थात यह ज्ञात ही नही हो पाता कि इनसोम्निया बीमारी कब और कैसे स्टार्ट होती है। लेकिन फिर भी ऐसा माना जाता है है कि इनसोम्निया अथवा अनिद्रा उन लोगों में अधिक होती है जो स्ट्रेस से पीड़ित होते हैं तथा जिन पर वर्कलोड अधिक होता है। इसके अलावा कुछ विशेष समूहों के लोगों में भी इनसोम्निया होने का खतरा अधिक होता है। ऐसे व्यक्तियों में मनोदशा जैसे चिंता, अवसाद, बाइपोलर से पीड़ित लोग, वृद्ध लोग, अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी पुरानी गम्भीर बीमारियों से ग्रसित शामिल होते हैं।
ऐसे बहुत से लोग हैं जो कि अच्छी नींद न लेने के कारण उत्पन्न हुई थकान को मिटाने के लिए पेय पदार्थों जैसे चाय, कैफीन, चॉकलेट आदि के सेवन करते हैं जिससे उत्पन्न होने वाली उत्तेजना नींद को प्रभावित करती है और लोगों का सोना या सोते रहना मुश्किल हो जाता है। कुछ लोग जो रात में कार्य करते हैं तो नाईट शिफ्ट के दौरान पेय पदार्थों का इस्तेमाल कर नींद भगाने की कोशिश करते हैं जिससे नींद भी ना आए और शरीर को कुछ आराम भी महसूस हो। रात में गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर भी मादक पदार्थों का सेवन इसलिए करते हैं ताकि उन्हें नींद न आए।
कैफीन युक्त पेय पदार्थ अथवा मादक पदार्थ वास्तव में लोगों को रात की अच्छी नींद लेने से भी रोकते हैं। एक बार जब नींद आने में परेशानी होनी शुरू हो जाती है तो मन मे अनेक प्रकार की उलझनों का दौर शुरू हो जाता है और कई विचार मन में आने लगते हैं और नकरात्मक विचारों की श्रंखला मन में घर करने लगती है जो सोने की आपकी क्षमता को नुकसान पहुँचाती है। इस प्रकार धीरे धीरे नींद की गुणवत्ता और भी अधिक खराब होने लगती है।
बेहतर नींद के लिए- सुधार करें
इनसोम्निया अथवा अनिद्रा को दूर करने के लिए अनिद्रा के अंतर्निहित कारणों का मूल्यांकन किया जाना अति आवश्यक होता है ताकि यह भी सुनिश्चित हो सके कि अनिद्रा किसी चिकित्सीय स्थिति या अथवा व्यक्ति के द्वारा द्वारा ली जा रही दवाओं के कारण तो नही है। ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनके करने से अनिद्रा को ठीक करने में मदद मिलती है लेकिन इन सबके लिए उचित मनोवैज्ञानिक अथवा मनोचिकित्सीय परामर्श लेने के अलावा कैफीन युक्त पेय पदार्थ एवं मादक पदार्थों को त्याग या सेवन सीमित कर देना जरूरी होता है। उचित आहार, व्यायाम, ध्यान और मन की शांति अच्छी नींद में सहायक सिद्ध होते हैं।